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इस पेड़ के तेल से बॉडी को रखे पेन फ्री, गठिया और साइटिका के लिए है रामबाण

'नीलगिरी' (यूकेलिप्टस) एक बेहद खास पौधा है. यह पेड़ अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, खासकर इसके पत्तों से निकलने वाला तेल, जो कई बीमारियों और तकलीफों में रामबाण का काम करता है.

इस पेड़ के तेल से बॉडी को रखे पेन फ्री, गठिया और साइटिका के लिए है रामबाण
प्रतीकात्म तस्वीर (Meta (AI)

Eucalyptus oil Benefits: बदलते दौर में लोग अब सेहतमंद रहने के लिए प्राकृतिक उपायों की ओर रुख कर रहे हैं, और इसी कड़ी में 'नीलगिरी' (यूकेलिप्टस) एक बेहद खास पौधा बनकर उभरा है. यह पेड़ अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, खासकर इसके पत्तों से निकलने वाला तेल, जो कई बीमारियों और तकलीफों में रामबाण का काम करता है. सर्दी-खांसी, जोड़ों का दर्द, गठिया, साइटिका या सूजन जैसी समस्याओं में नीलगिरी का तेल किसी वरदान से कम नहीं है, बशर्ते इसका इस्तेमाल सावधानी से किया जाए.

वैज्ञानिकों की मुहर: नीलगिरी तेल के औषधीय गुण

अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, नीलगिरी तेल पर कई वैज्ञानिक शोध हुए हैं। इन शोधों से यह साबित हुआ है कि नीलगिरी का तेल बेहद खास है और इसे विभिन्न प्रकार की बीमारियों में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें मौजूद कुछ रसायन, जैसे सिनेओल (Cineole) और अल्फा-पाइनिन (Alpha-Pinene), दर्द और सूजन कम करने में प्रभावी पाए गए हैं. यही वजह है कि यह मांसपेशियों के दर्द, गठिया और साइटिका जैसी समस्याओं में तुरंत आराम देता है.

सांस संबंधी समस्याओं में रामबाण

नीलगिरी का तेल श्वसन संबंधी समस्याओं के लिए एक चमत्कारी औषधि है। सर्दी, खांसी और बंद नाक जैसी आम समस्याओं में यह बेहद फायदेमंद है. जब आप इसकी कुछ बूंदों को गर्म पानी में डालकर भाप लेते हैं, तो यह श्वसन तंत्र को साफ करता है और बंद नाक को खोलने में मदद करता है. इसमें मौजूद सिनिओल नामक तत्व बलगम को ढीला करके बाहर निकालने में सहायक होता है.

दर्द और सूजन से राहत

यह तेल मांसपेशियों के दर्द और सूजन को भी कम करता है। इसलिए जोड़ों के दर्द, साइटिका या गठिया जैसी समस्याओं में इसका नियमित उपयोग बेहद लाभकारी हो सकता है.

एंटीसेप्टिक और एंटीफंगल गुण

नीलगिरी का तेल एंटीसेप्टिक और एंटीफंगल गुणों से भरपूर होता है. यह त्वचा पर होने वाले मुंहासे, फोड़े-फुंसी और फंगल इन्फेक्शन को ठीक करने में सहायक है. छोटे-मोटे घावों पर लगाने से संक्रमण का खतरा कम होता है और घाव जल्दी भरते हैं.

मच्छरों को भगाए, मन को तरोताजा करे

इसकी तीव्र गंध मच्छरों और अन्य कीटों को दूर रखती है, साथ ही, इसकी सुगंध मन को तरोताजा करती है और एकाग्रता बढ़ाने में मदद करती है, यही कारण है कि इसे अरोमाथेरेपी में भी खूब इस्तेमाल किया जाता है, अरोमाथेरेपी, जिसे सुगन्ध चिकित्सा भी कहते हैं, पौधों से प्राप्त आवश्यक तेलों का उपयोग करके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की एक विधि है,

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