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This Article is From Nov 03, 2023

राजस्थान की इस VVIP सीट पर एक ही पार्टी से पति-पत्नी ने किया नामांकन, जानिए क्यों किया ऐसा

इस चुनाव की हॉट सीटों में से एक नाथद्वारा सीट पर एक रोचक वाकया सामने आया है. यहां पति-पत्नी दोनों ने एक ही सीट पर नामांकन दाखिल किया है.

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राजस्थान की इस VVIP सीट पर एक ही पार्टी से पति-पत्नी ने किया नामांकन, जानिए क्यों किया ऐसा

Rajasthan Assembly Election 2023: इस चुनाव की हॉट सीटों में से एक नाथद्वारा सीट पर एक रोचक वाकया सामने आया है. यहां पति-पत्नी दोनों ने एक ही सीट पर नामांकन दाखिल किया है. मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वराज सिंह को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है. उनकी नामांकन सभा में आज केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी आये थे.

सभा से पहले विश्वराज सिंह ने तहसील कार्यालय में नामांकन दाखिल किया था. तब किसी को अंदाजा नहीं था कि उनकी पत्नी भी यहां से नामांकन दाखिल करेंगी. लेकिन महिमा कुमारी मेवाड़ ने भी खुद को भाजपा का प्रत्याशी बताते हुए पर्चा भरा है. ऐसा इसलिए किया गया है कि अगर किसी एक प्रत्याशी का नामांकन रद्द हो जाए तो दूसरा चुनाव लड़ सके. ऐसे उम्मीदवारों को डमी प्रत्याशी कहा जाता है. नामांकन की जांच के दौरान जिस प्रत्याशी ने पार्टी सिंबल का दावा करते हुए फॉर्म भरा है, और अगर उसके पास पार्टी टिकट नहीं होता, तो इन्हें चुनाव आयोग निरस्त कर देता है. 

पति विश्वराज से ज्यादा कैश रखती हैं महिमा कुमारी

अपने हलफनामे में महिमा कुमारी ने बताया है कि उनके पास 1 लाख 21 हजार रुपये कैश हैं और उनके पति विश्वराज सिंह के पास 1 लाख 6 हजार रुपये कैश हैं. उनके पास 20 लाख 16 हजार रुपये के जेवरात हैं. वे 22 लाख 99 हजार की मालकिन हैं और उनके पति 75 लाख 70 हजार 999 के मालिक हैं.

पूर्व राजपरिवार के सदस्य के पास नहीं है कोई पुश्तैनी संपत्ति, गाड़ी के नाम पर दस साल पुरानी स्विफ्ट डिजायर कार है. विश्वराज सिंह के पास सिर्फ एक स्विफ्ट डिजायर कार है, जो 2013 में खरीदी गयी थी. विरासत में उन्हें कोई संपति नहीं मिली है. उनके पास कोई स्थायी संपत्ति नहीं है. सिर्फ अचल संपत्ति है.

तीन दशक से राजनीति से दूर था मेवाड़ राज परिवार

गौरतलब है मेवाड़ राज परिवार से करीब तीन दशक बाद कोई सदस्य सक्रिय राजनीति में आया है. इससे पहले विश्वराज सिंह के पिता महेद्र सिंह मेवाड़ राजनीति में आए थे, उन्होंने भाजपा से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी और बाद में कांग्रेस में आ गए थे. 

महेन्द्र सिंह मेवाड़ साल 1989 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर पहली बार चुनाव लड़कर सांसद बने, लेकिन भैरूसिंह शेखावत से खटास के चलते उन्होने कांग्रेस का दामन थाम लिया था और चित्तौड़ से 1991 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े जिसमें वो 20 हजार वोटों से हार गये थे.

इसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में ही 1996 में भीलवाड़ा से लोकसभा का चुनाव लड़ा. लेकिन दुर्भाग्य से वहां पर भी भाजपा के सुभाष बाहेड़िया से हार का सामना करना पड़ा. उसके बाद से उदयुपर के पूर्व राजघराने के किसी भी सदस्य की राजनीति में सक्रियता देखने को नहीं मिली.

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