
Health News: आयुर्वेद में कई पेड़-पौधों का उपयोग विभिन्न बीमारियों के उपचार में होता है. ऐसा ही एक अनमोल पौधा है ‘श्योनाक', जिसे ओरोक्सिलम इंडिकम के नाम से भी जाना जाता है. यह हिमालय के आसपास पाया जाता है और इसकी छाल, पत्ते और फल स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में बेहद उपयोगी माने जाते हैं. यह पौधा कफ और वात को शांत करने के साथ-साथ शरीर को मजबूत बनाने में मदद करता है.
बीमारियों के इलाज में रामबाण
श्योनाक का उपयोग बुखार, मलेरिया और पेट संबंधी समस्याओं के लिए रामबाण माना जाता है. इसके पके हुए फल का सेवन बवासीर और पेट में कीड़े की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है. महिलाओं के प्रसव के बाद होने वाली समस्याओं के इलाज में इसकी छाल, जड़ और फल का विशेष उपयोग किया जाता है.
औषधीय गुणों से भरपूर
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार, श्योनाक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं, जो दर्द और सूजन को कम करने में मददगार हैं. दशमूल के घटक के रूप में इसका इस्तेमाल आंतरिक और बाहरी सूजन, आमवात और अन्य समस्याओं के इलाज में किया जाता है. इसके अलावा, इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो बैक्टीरिया के संक्रमण को रोकने में कारगर हैं.
पर्यावरणीय खतरा
श्योनाक के अत्यधिक उपयोग और अवैध संग्रह के कारण यह पौधा लुप्तप्राय हो गया है. भारत सरकार ने इसे संरक्षित औषधीय पौधों की सूची में शामिल किया है.
स्वास्थ्य और सौंदर्य में भी उपयोगी
इसके औषधीय गुणों के चलते इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा, पारंपरिक चिकित्सा और कॉस्मेटिक उत्पादों में उपयोग किया जाता है. मुंह के छालों और लीवर की सूजन जैसी समस्याओं में भी यह लाभकारी है. श्योनाक एक बहुमूल्य औषधीय पौधा है, जो न केवल बीमारियों के इलाज में मदद करता है बल्कि स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसे संरक्षित करना हमारी ज़िम्मेदारी है.
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