अनूपगढ़ जिला कभी सफेद सोने की मंडी के नाम से जाना जाता था क्योंकि यहां पर भरपूर मात्रा में कॉटन का उत्पादन होता था. लकिन इस साल कॉटन का उत्पादन काफी कम मात्रा में हुआ है. कॉटन के भाव में पिछले साल की के मुक़ाबले इस साल 2300 रुपए प्रति क्विंटल की कमी आई है जिससे किसान और व्यापारी वर्ग दोनों ही परेशान हैं।
कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष बंशी लाल जसूजा ने बताया कि,गुलाबी सुंडी के कारण इस बार कॉटन की गुणवत्ता में काफी गिरावट आई है और विदेशों में भी कॉटन की मांग कम होने के कारण बाजार में कॉटन का भाव कम हो गया है. उन्होंने बताया कि, इस बार अनूपगढ़, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले में कॉटन पर गुलाबी सुंडी का भारी प्रकोप है। गुलाबी सुंडी कीड़े की वजह से कॉटन की गुणवत्ता काफी कम हुई है और उत्पादन में भी कमी दर्ज की गई है.
ढ़ाई हज़ार प्रति क्विण्टल तक गिरे भाव
जसूजा ने बताया कि पिछले साल के मुक़ाबले इस साल कॉटन की गुणवत्ता में काफी गिरावट है इस कारण से बाजार में कॉटन के उचित भाव नहीं मिल पा रहे हैं. अगर भावो की बात करें तो पिछले वर्ष बाजार में कॉटन ₹9000 से 9300 प्रति क्विंटल तक बिका था मगर इस बार कॉटन 6500 से लेकर 7000 पर प्रति क्विंटल तक बिक रहा है.
गुलाबी सुंडी के कहर ने फ़सल बर्बाद हुई
किसान लखबीर सिंह ने बताया कि गुलाबी सुंडी के कारण खेतों में गत वर्ष की
पेक्षा इस वर्ष कॉटन 50% कम हुई है। किसान ने बताया कि इस बार कॉटन का उत्पादन भी काफी कम है वही सही समय पर पर्याप्त संख्या में नरमा चुगने के लिए चुगारे भी नहीं मिलने के कारण किसान पर काफी परेशान है. उन्होंने बताया कि गत वर्ष चुगारे को नरमा चुगाई ₹10 प्रति किलो की लेबर दी जाती थी मगर इस बार ₹15 प्रति किलो में भी पर्याप्त संख्या में चुगारे नहीं मिल पा रहे हैं जिससे किसान वर्ग काफी परेशान हैं.