Kota Students Death: 'कोटा क्लासेस में एडमिशन हो गया तो लाइफ सेट है.., बच्चे को मेडिकल या इंजीनियर बनाना है तो कोटा कोचिंग करने भेज दो..'. ये वो लाइनें हैं जो हर मां-बाप या उनके रिश्तेदार बच्चों को बोलते हैं, और फिर लाखों रुपये खर्च कर उन्हें पढ़ने के लिए घर से कई किलोमीटर दूर भेज देते हैं. कोटा पहुंचते ही बच्चा 'कामयाब' होने की रेस जीतने के लिए दिन रात मेहनत करने लगता है. इनमें से कई कामयाब हो जाते हैं, जबकि कुछ इसे 'जिदंगी की आखिरी रेस' समझकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर देते हैं. कोटा में बीते कुछ सालों से ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिस कारण इसकी पहचान अब 'सुसाइड हब' के रूप में भी होने लगी है.
9 साल में 130 बच्चों ने किया सुसाइड
आंकड़ों पर गौर करें 2024 में अब तक कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड करने के 9 मामले सामने आ चुके हैं. जनवरी में 2, फरवरी में 4, मार्च में 1 और अप्रैल महीने में 2 बच्चों ने यहां खुदखुशी की है. पिछले साल 2023 में सबसे ज्यादा 26 स्टूडेंट्स के सुसाइड केस समाने आए थे. उससे पहले वर्ष 2022 में 15 बच्चों ने सुसाइड किया था. वर्ष 2020 और 2021 में लॉकडाउन के कारण कोटा के सभी कोचिंग संस्थान बंद थे. ऐसे में इन दो सालों में सुसाइड का कोई मामला सामने नहीं आया. लेकिन 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में 7, 2016 में 17 और वर्ष 2015 में स्टूडेंट सुसाइड के कुल 18 मामले सामने आए थे. साल 2015 से लेकर 2024 में अभी तक यहां 130 बच्चों ने खुदकुशी की है.
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बिना बताए कोटा से भाग से रहे स्टूडेंट्स
इतना ही नहीं, वर्ष 2024 में कोचिंग स्टूडेंट के लापता होने के केस सामने आने लगे हैं. बच्चे अपने माता-पिता, हॉस्टल प्रबंधन या कोचिंग इंस्टीट्यूट में किसी को भी बताए बिना लापता हो रहे हैं. कई दिन तक जब बच्चे मां-बाप का फोन नहीं उठाते तो वे परेशान होकर कोटा में उनसे मिलने आते हैं, लेकिन यहां आकर जब कोई नहीं मिलता तो फिर वे बच्चे को ढूंढने के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज करवाते हैं. इसके बाद पुलिस की टीम कई दिनों तक डिजिटल फुटप्रिंट्स की मदद से शहर-शहर घुमकर छात्र को ढूंढती है और उन्हें परिजनों को सुपुर्द करती है. इनमें कुछ केस ऐसे भी आए जब छात्र ने सुसाइड नोट छोड़ा और लापता हो गया. जबकि एक छात्रा ने तो अपनी ही किडनैपिंग का ढोंग रचकर पिता से फिरौती मांग ली. बच्चे किस प्रेशर में ऐसे कदम उठा रहे हैं ये जांच का विषय है, लेकिन इस तरह के केस रोकने में सरकार की हर कोशिश नाकाम नजर आ रही है.
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क्या कहते हैं मनोचिकित्सक डॉ. भरत?
कोटा में करीब 20 साल से कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड मामलों पर बेबाक राय और सुझाव देने वाले मनोचिकित्सक डॉ. भरत सिंह शेखावत ने बताया था कि कोटा में कोचिंग अब एक व्यवसाय बन गया है. जहां बच्चों को उनकी क्षमता से अधिक परिणाम देने के लिए दबाव डाला जाता है. बच्चों के अभिभावक प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम के विज्ञापनों की चमन में अपने बच्चों की क्षमताओं को भूलकर उन पर उम्मीदों का बोझ डालकर कोटा भेज देते हैं. जबकि रिजल्ट पर नजर डाली जाए तो जितने बच्चे कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए आते हैं उनमें से सफलता महज कुछ को ही हासिल होती है. जरूरत अभिभावकों के काउंसलिंग की भी है और समय-समय पर बच्चों की काउंसलिंग की भी. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. सिर्फ आत्महत्याओं के मामले जब बढ़ते हैं तो सबको चिंता होने लगती है और सामान्य स्थिति जैसे ही होती है हालात वैसे के वैसे ही बन जाते हैं.
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'सुसाइड होने पर मिलता है एंटी हैंगिंग डिवाइस का ऑर्डर'
कोटा में स्टूडेंट्स के बढ़ते सुसाइड मामले रोकने के लिए सरकार की तरह से कई इंतजाम किए गए हैं, जिनमें हॉस्टल के कमरों में एंटी हैंगिंग डिवाइस लगाना सबसे अहम है. कोटा में सिर्फ एक ही कंपनी है जो एंटी हैंगिंग डिवाइस लगाने का काम कर रही है. लेकिन लोग कंपनी की डिवाइस को सप्लाई करने की क्षमता पर सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका कहना है कि कंपनी द्वारा ऑर्डर के बाद 10, 12 दिन से ज्यादा का वेटिंग का वक्त बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है. वहीं कोटा में कंपनी का काम देख रहे प्रतिनिधि बताते हैं कि सिर्फ सुसाइड के मामले सामने आने के बाद ही एंटी हैंगिंग डिवाइस की डिमांड आती है. कुछ दिन बाद वापस हालात वहीं हो जाते हैं.
कोटा में सुसाइड रोकने के लिए जारी गाइडलाइन
1. 9वीं कक्षा से पहले छात्रों को कोचिंग संस्थानों में प्रवेश नहीं मिलेगा.
2. छात्रों के मानसिक दबाव को कम करने की जिम्मेदारी कोचिंग संस्थानों की होगी.
3. छात्रों को डेढ़ दिन का साप्ताहिक अवकाश देना होगा.
4. 'असेसमेंट रिजल्ट' सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.
5. टेस्ट /परीक्षा के परिणाम 03 दिन बाद जारी किए जाए.
6. टेस्ट में विद्यार्थियों की उपस्थिति ऐच्छिक हो, अनिवार्य नहीं.
7. परीक्षा के अगले दिन आवश्यक रूप से अवकाश रखा जाना सुनिश्चित किया जाए.
2024 में अब तक 9 बच्चों ने किया सुसाइड
- 23 जनवरी को कोटा में 2024 का पहला स्टूडेंट सुसाइड केस समाने आया था. यूपी के मुरादाबाद जिले में रहने वाले 19 वर्षीय छात्र मोहम्मद जैद ने कोटा के राजीव गांधी नगर में फांसी लगाकर खुदखुशी कर ली थी. वो कोटा में रहकर NEET की तैयारी कर रहा था.
- 29 जनवरी को मध्य प्रदेश निवासी छात्रा निहारिका सिंह ने बोरखेड़ा इलाके में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. वह कोटा में रहकर NEET की तैयारी कर रही थी.
- 1 फरवरी को यूपी के गोंडा जिले के निवासी छात्र नूर मोहम्मद ने विज्ञान नगर इलाके फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. वह कोटा में रहकर JEE की तैयारी कर रहा था.
- 16 फरवरी को झारखंड के जमशेदपुर जिले के निवासी छात्र परमजीत राय ने जवाहर नगर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. वह कोटा में रहकर NEET की तैयारी कर रहा था.
- 21 फरवरी को मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के निवासी छात्र रचित सोंधिया ने जवाहर नगर में गरडिया महादेव मंदिर के जंगल से कूदकर जान दे दी थी. वह कोटा में रहकर NEET की तैयारी कर रहा था.
- 18 फरवरी को यूपी के अलीगढ़ जिले के निवासी छात्र शिवम राघव ने जहरीला पदार्थ खाकर जान दे दी थी. वह कोटा में रहकर NEET की तैयारी कर रहा था.
- 9 मार्च को बिहार के भागलपुर जिले के निवासी छात्र अभिषेक ने कोटा के विज्ञान नगर इलाके में आत्महत्या कर ली थी. वह कोटा में रहकर JEE की तैयारी कर रहा था.
- 28 अप्रैल को हरियाणा के रहने वाले 19 वर्षीय छात्र सुमित ने कुन्हाड़ी में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. वह कोटा में रहकर NEET की तैयारी कर रहा था.
- 30 अप्रैल को राजस्थान के धौलपुर के रहने वाले 20 वर्षीय छात्र भरत ने कोटा के जवाहर नगर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. वह कोटा में रहकर NEET की तैयारी कर रहा था.
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