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राजस्थान में अंग्रेजी मीडियम स्कूल बंद होंगे या नहीं? मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया समीक्षा बैठक में क्या हुआ फैसला

हाल ही में भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती गहलोत सरकार द्वारा खोले गए अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के बारे में एक समीक्षा कमेटी बनाई थी, जिसके बाद कांग्रेस, भाजपा सरकार पर हमलावर हो गई थी. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा था कि भाजपा नेताओं को यह चिंता सता रही है कि गरीब और वंचित वर्ग के बच्चे अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त करके उनके बच्चों के बराबर न आ जाएं.

Rajasthan News: राजस्थान के कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने स्पष्ट किया है कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में खुले सभी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों को बंद नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इन स्कूलों की समीक्षा की जाएगी और जो आवश्यक और सही पाए जाएंगे, उन्हें जारी रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि किसी चीज की समीक्षा करने का मतलब उसे बंद करना नहीं होता. 

पटेल ने कहा, "अगर अंग्रेजी माध्यम स्कूल जनहित में हैं, तो केवल उनकी समीक्षा की जाएगी. कांग्रेस को इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए. अंग्रेजी माध्यम का स्कूल वास्तव में अंग्रेजी माध्यम का होना चाहिए, जिसमें योग्य अंग्रेजी विषय के शिक्षक हों. हमें शिकायतें मिली थीं कि कई हिंदी माध्यम के स्कूलों पर सिर्फ अंग्रेजी माध्यम का बोर्ड लगा दिया गया था, लेकिन न तो वहां अंग्रेजी के शिक्षक नियुक्त किए गए और न ही अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई हुई."

उन्होंने आगे बताया कि अंग्रेजी स्कूलों की समीक्षा प्रक्रिया चल रही है और इस दौरान कुछ स्कूल ऐसे पाए गए हैं जहां एक भी अंग्रेजी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई.

'जहां जरूरी वहां खुले रहेंगे अंग्रेजी मीडियम स्कूल'

कांग्रेस द्वारा ग्रामीण इलाकों में भेदभाव के आरोप पर पटेल ने कहा, "भाजपा क्षेत्रवाद की राजनीति नहीं करती. हमारे लिए पूरा राजस्थान समान है. अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को सही मायनों में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा मिलेगी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम केवल दिखावा करें. अगर किसी क्षेत्र में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल की आवश्यकता है, तो वह स्कूल बंद नहीं किया जाएगा. हालांकि, जहां नए छात्रों का दाखिला नहीं हो रहा और अभिभावक हिंदी माध्यम स्कूल की मांग कर रहे हैं, वहां की स्थिति अलग है."

सरकार ने बनाई थी समीक्षा कमेटी 

गौरतलब है कि इससे पहले भाजपा सरकार पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार द्वारा खोले गए अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के बारे में एक समीक्षा कमेटी बनाई थी, जिसके बाद कांग्रेस भाजपा सरकार पर हमलावर हो गई थी. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा था कि भाजपा नेताओं को यह चिंता सता रही है कि गरीब और वंचित वर्ग के बच्चे अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त करके उनके बच्चों के बराबर न आ जाएं. यही कारण है कि वे अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा के लिए एक कमेटी बनाने जा रहे हैं, जो प्रदेश को पीछे की ओर धकेलने और निजी स्कूलों को फायदा पहुंचाने का एक हथकंडा है.

'90% भाजपा नेताओं के बच्चे विदेशों में पढ़ते हैं'

जूली ने कहा था, ''आंकड़े बताते हैं कि 75% गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चे अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ते हैं. 90% भाजपा नेताओं के बच्चे महंगे स्कूलों और विदेशों में पढ़ते हैं. यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि भाजपा सरकार की नीतियां गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों के खिलाफ हैं और वे उन्हें अंग्रेजी शिक्षा से वंचित करना चाहते हैं. इसके अलावा, 60% प्रदेश के बच्चे अंग्रेजी शिक्षा के लिए प्राइवेट स्कूलों पर निर्भर हैं. यह एक बड़ा मुद्दा है और भाजपा सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है.''

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