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बिना मिट्टी घर की छत पर आसानी से उगा सकेंगे सब्जियां, जानिए क्या है 'हाइड्रोपोनिक तकनीक'

शहरों में छतों पर सब्जियों के उगाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है इसको हाइड्रोपोनिक प्रक्रिया कहते हैं. यह तेजी से लोकप्रिय हो रहा है आईये जानते हैं कैसे करते हैं हाइड्रोपोनिक खेती..

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बिना मिट्टी घर की छत पर आसानी से उगा सकेंगे सब्जियां, जानिए क्या है 'हाइड्रोपोनिक तकनीक'

Hydroponic Technology: विज्ञान के इस दौर में विश्व भी भारत के प्रौद्योगिकी का लोहा मानता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों की आय को दुगनी करने के विज़न में भी अब केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान 'काजरी' की हाइड्रोपोनिक तकनीक भी कारगर साबित होगी. देश में लगातार बढ़ रहे शहरीकरण व जनसंख्या में लगातार हो रही वृद्धि की चुनोती के बीच काजरी की इस हाइड्रोपोनिक तकनीक के द्वारा अब न सिर्फ किसान बल्कि आमजन भी अपने घरों की बालकनी व छत्तों पर बिना मिट्टी व कम पानी खर्च किए सब्जियां भी उगा सकेंगे.

छत पर उगा सकते हैं सब्जियां

जिसके लिए बिना मिट्टी का उपयोग किए पौधों की जड़ों पर पोषक तत्वों के एक गोल के छिड़काव मात्र से ही पौधे पनपने लगेंगे राजस्थान जैसे मरुस्थलीय क्षेत्र में भीषण गर्मी व शुष्क एटमॉस्फेयर में भी अन्य प्रति के पौधे व सब्जियां उगा सकेंगे. इसके लिए पॉलीहाउस भी विकसित किया जाएगा, वहीं आमजन भी हाइड्रोपोनिक तकनीक के द्वारा कोस्टली वेजिटेबल्स को भी अपने घर या छत पर उगा कर उनका व्यापार करने का अवसर भी देता है.

गमले में उगाई गईं सब्जियां

गमले में उगाई गईं सब्जियां

सब्जी उगाने में मिट्टी की आवश्यकता नहीं

कई मायनों में यह तकनीक किसानों के साथ ही आम जन के लिए भी उपयोगी साबित होगी. काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. धीरज सिंह एनडीटीवी से खास बातचीत करते हुए बताया कि इस तकनीक की मुख्य रूप से यह विशेषता है कि इसमें मिट्टी की आवश्यकता बिल्कुल नहीं होती, साथ ही जो 17 तत्वों के पानी का जो सॉल्यूशन बनाया गया है. वह उनके जड़ों के माध्यम से निरंतर बहता रहता है इससे उन्हें न्यूट्रिएंट और पौधा अपनी ग्रोथ लेता रहता है. 

मांग पर विकसित हुई यह तकनीक

यह तकनीक बहुत कारगर साबित हुई है और इस तकनीक को हमने काजरी में अलग-अलग लेवल पर अपनाया है और इस नई तकनीक के साथ ही हमने नए उपाय और नए एक्सपेरिमेंट भी किया राजस्थान के वातावरण में भी कहीं किस्म के पौधों पर यहां शोध भी किया गया है, और बढ़ते हुए शहरीकरण और बदलती हुई खाद्य पद्धति और लोगों की बढ़नी आधुनिक सब्जियों की मांग उन सभी चीजों की बढ़ती मांग को देखते हुए इस तकनीक को विकसित किया गया है.

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विदेशी वेजिटेबल्स की भी हो रही पैदावार

काजरी द्वारा विकसित इस नई तकनीक में कहीं विदेशी वेजिटेबल्स की भी पैदावार हो रही है. जिसमें इटालियन, ब्रोकली ,पार्सले के साथ ही पालक, पत्ता गोभी, फूलगोभी, टमाटर, बैंगन और विभिन्न किस्म की कैप्सिकम के साथ ही कई महंगी सब्जियों की भी पैदावार इस नई तकनीक के द्वारा हो रही है.

पॉलीहाउस में होती है खेती

काजरी के द्वारा विकसित की गई इस तकनीक का काफी प्रभाव कृषि के क्षेत्र में भी देखा जा रहा है. इस तकनीक के लिए पॉलीहाउस अनिवार्य है. छोटे परिवार के लिए 15 से 20 हजार के करीब पॉलीहाउस स्टेबल हो जाता है. वहीं 33 से 70 गुना घर की छत या बालकनी पर व्यापारिक दृष्टि से भी इसे इजात कर सकते है. 

कॉस्टली वेजिटेबल जो बाजार में 500 रुपए किलो तक मिलता है, वहीं इस तकनीक के द्वारा अगर व्यापारिक दृष्टि से इसका उत्पादन किया जाए तो 50 से 100 रुपए किलो तक इसकी पैदावार हो सकती है. राजस्थान के मौसम के आधार पर पॉलीहाउस भी कंपलसरी है. जहां गर्मी के समय इसमें कूलिंग प्लांट भी लगाना पड़ता है.

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क्या होती है हाइड्रोपोनिक प्रक्रिया? 

अगर आसान भाषा में समझें कि हाइड्रोपोनिक तकनीक क्या है? तो इस तकनीक से खेती करने के लिए मिट्टी की जरूरत नहीं होती है. इससे बिना मिट्टी का इस्तेमाल किए आधुनिक तरीके से खेती की जाती है वो भी केवल पानी या पानी के साथ बालू और कंकड़ में की जाती है.

इस तकनीक से खेती करने में जलवायु को नियंत्रण करने की जरूरत नहीं होती है. इस प्रक्रिया में फसल ताजी, स्वच्छ, शुद्ध व अच्छी गुणवत्ता वाली व हानिकारक रसायन रहित होती है. इस प्रणाली में आम खेती की अपेक्षा पानी की जरुरत 90 फीसदी तक कम होती है. शहरी कृषि (अर्बन फार्मिंग) में यह बहुत मददगार है.

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