
योग की प्राचीन शुद्धिकरण तकनीकों में से एक है अग्निसार क्रिया जो शरीर को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखने का एक अचूक तरीका है. यह क्रिया विशेष रूप से पाचन तंत्र और श्वसन प्रणाली को मजबूत करती है. मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योग के अनुसार, अग्निसार क्रिया ना केवल पाचन शक्ति को बढ़ाती है, बल्कि पेट की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में भी प्रभावी है. अग्निसार क्रिया पाचन अग्नि को प्रज्वलित कर कब्ज, अपच और गैस जैसी समस्याओं को दूर करती है. यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर पेट की चर्बी कम करने में मदद करती है. इसके अतिरिक्त,
पेट के अंगों की मसाज करती है
अग्निसार एक योगिक क्रिया है जिसमें पेट की मांसपेशियों को नियंत्रित रूप से संकुचित और प्रसारित किया जाता है. 'अग्निसार' शब्द 'अग्नि' (पाचन अग्नि) और 'सार' (सार तत्व) से मिलकर बना है, जो पाचन की आंतरिक शक्ति को सक्रिय करने का प्रतीक है. यह क्रिया पेट के अंगों की मसाज करती है, जिससे पाचन तंत्र सक्रिय होता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं.
सुबह खाली पेट करें अग्निसार
हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि अग्निसार क्रिया करने की क्या विधि है. इसे करने के लिए शांत और हवादार स्थान चुनें. सुखासन या वज्रासन में बैठकर रीढ़ को सीधा रखें. गहरी सांस लें और फिर पूरी सांस को धीरे-धीरे बाहर छोड़ दें. सांस को रोककर पेट को तेजी से अंदर-बाहर करें. इस प्रक्रिया को 10 से 15 बार दोहराएं और धीरे-धीरे अपनी क्षमता बढ़ाएं. यह अभ्यास सुबह के समय खाली पेट करनी चाहिए.
मानसिक स्वास्थ्य के लिए वरदान
यह प्राचीन तकनीक आधुनिक दिनचर्या में भी स्वस्थ रहने का सरल और प्रभावी तरीका है. नियमित अभ्यास और संतुलित आहार के साथ अग्निसार क्रिया शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए वरदान है. हालांकि, इसे करने से पहले एक्सपर्ट कुछ सावधानियां बरतने की भी सलाह देते हैं. गर्भवती महिलाओं, हृदय रोगियों, हाई ब्लड प्रेशर, हर्निया जैसी समस्याओं से जूझ रहे व्यक्तियों को यह क्रिया करने से पहले सलाह लेनी चाहिए.
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