
Health News: मोरपंखी जिसे धरतूणी या ताम्रपर्णी भी कहते हैं, न केवल घर और बगीचे की शोभा बढ़ाता है, बल्कि अपने औषधीय गुणों से स्वास्थ्य के लिए भी वरदान है. आयुर्वेद में इस पौधे को विशेष स्थान प्राप्त है. इसके एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीऑक्सीडेंट गुण इसे चमत्कारी बनाते हैं. यह पौधा न सिर्फ बीमारियों से लड़ता है, बल्कि शरीर को स्वस्थ और मजबूत भी रखता है.
त्वचा और बालों का दोस्त
मोरपंखी की पत्तियों का रस या पेस्ट त्वचा की समस्याओं जैसे जलन, घाव और एलर्जी को ठीक करने में कारगर है. यह त्वचा के संक्रमण को रोकता है और सूजन कम करता है. बालों के लिए भी यह बेहद फायदेमंद है. इसका नियमित उपयोग बालों को मजबूत बनाता है और रूसी की समस्या से छुटकारा दिलाता है.
पाचन और डायबिटीज में राहत
आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, मोरपंखी का अर्क पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है. यह अपच और पेट की सूजन को कम करने में मदद करता है. डायबिटीज के मरीजों के लिए भी यह लाभकारी है, क्योंकि यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है. इसके अलावा, यह श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सर्दी-जुकाम में भी राहत देता है.
रोग प्रतिरोधक क्षमता का रक्षक
मोरपंखी के एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर से हानिकारक विषैले तत्वों को बाहर निकालते हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. इसे रस, पेस्ट या हर्बल चाय के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. गठिया और जोड़ों के दर्द में भी यह प्रभावी है.
सावधानी है जरूरी
आयुर्वेदिक विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि मोरपंखी का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए. अधिक मात्रा में इसका सेवन नुकसान पहुंचा सकता है.