Rajasthan: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में भाजपा सरकार पर पंचायतीराज और नगरीय निकाय चुनावों को टालने के आरोप लगाए. उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि सरकार डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा प्रदत्त संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुली अवहेलना कर रही है. संविधान के अनुच्छेद 243-E के अनुसार पंचायतीराज संस्थानों और अनुच्छेद 243-U के अनुसार नगरीय निकायों के चुनाव हर पांच वर्ष में कराना अनिवार्य है. न्यायालय ने गोवा सरकार बनाम फौजिया इम्तियाज़ शेख तथा पंजाब राज्य निर्वाचन आयोग बनाम पंजाब सरकार मामलों में भी स्पष्ट कहा है कि देश के सभी राज्यों में पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव पांच साल की अवधि में अनिवार्य रूप से कराए जाएं.
''लोकतांत्रिक ढांचे को भी नुकसान पहुंच रहा है''
इसके बावजूद, राजस्थान सरकार ने कई निकायों और पंचायत संस्थाओं का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनाव कराने की बजाय प्रशासकों की नियुक्ति कर दी है. इसमें न केवल संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि लोकतांत्रिक ढांचे को भी नुकसान पहुंच रहा है. ये स्थिति तब है जब मुख्यमंत्री एवं नगरीय विकास मंत्री दोनों ही पंचायतीराज की राजनीति से शुरुआत कर यहां तक पहुंचे हैं.
''नगरीय निकायों के काम लगभग ठप से हो गए हैं''
प्रशासक लगाने से पंचायतीराज एवं नगरीय निकायों के काम लगभग ठप से हो गए हैं. पंचायतीराज एवं नगरीय निकायों को बनाने का उद्देश्य खत्म होता जा रहा है. इन चुनावों से जो नई लीडरशिप पैदा होती है जो आगे बढ़ती परन्तु केवल भाजपा की हार के डर से चुनाव नहीं करवाए जा रहे हैं. संविधान की हत्या कर रही भाजपा सरकार के इस लोकतंत्र विरोधी कदम की जितनी निंदा की जाए वो कम है.
वहीं, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने उनके इस बयान का जवाब देते हुए कहा कि गहलोत सुर्खियों में बने रहने के लिए कुछ भी बयान देते हैं. कांग्रेस ने कई बार संविधान की हत्या की है. कई बार चुनी हुई सरकारों को बर्खास्त किया है. हम तो लोकतंत्र को बचा रहे हैं.
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