Rajasthan Education Department: झालावाड़ स्कूल हादसे के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूलों के जर्जर भवन और उनमें पढ़ रहे बच्चों की सुरक्षा को लेकर मामले में स्वप्रेरित संज्ञान लिया. इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को जर्जर भवनों की पहचान करके रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था. इसके बाद शिक्षा विभाग ने जुलाई में सर्वे कर राज्यभर के 5,667 जर्जर स्कूलों की पहचान की थी.
हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए इन स्कूलों में कक्षा संचालन पूर्णतः बंद करने के आदेश दिए थे. साथ ही इन स्कूलों की जगह वैकल्पिक व्यवस्था करने के आदेश दिए गए थे. इसके अलावा कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को स्कूलों में वैकल्पिक व्यवस्था का औचक निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे.
निजी मकानों तक में संचालित हो रहे स्कूल
इस औचक निरीक्षण की रिपोर्ट डालसा ने कोर्ट को पेश की. इस रिपोर्ट में डालसा कोई कई खामियां मिली जिस पर कोर्ट ने नाराजगी भी जाहिर की है. एनडीटीवी ने इस रिपोर्ट का एनालिसिस किया तो पाया कि लगभग 153 स्कूल मंदिरों, खुले मैदानों और निजी मकानों में संचालित हो रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 10 स्कूल पेड़ के नीचे और 17 स्कूल तो टीनशेड में चल रहे हैं. DLSA की रिपोर्ट के मुताबिक छह स्कूल अब भी उन्हीं जर्जर भवनों में चल रहे हैं, जबकि 14 स्कूलों ने अपने सभी छात्रों को स्कूल के एकमात्र हाल में पढ़ाया जा रहा है. वहीं, कई स्कूलों में जगह की कमी के कारण कुछ कक्षाएं बंद पड़ी हैं.
कोटा के किला रामगढ़ में स्थित महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालय (MGEMS) में छात्रों को एक निजी भवन के सामने, खुले आसमान के नीचे और नाले के पास बैठा पाया गया. इसके बाद डालसा ने स्कूल प्रबंधन को छात्रों के लिए उचित कक्ष, फर्नीचर, शौचालय और पीने के पानी की सुविधा सहित उन्हें खुले या गंदे स्थान पर न बैठाने के निर्देश दिए.
राजकीय प्राथमिक विद्यालय पार्वती का मंदिर बानसूर में विद्यालय में कुल 13 छात्र है. स्कूल का भवन पूर्ण रूप से जर्जर हो चुका है, इसलिए वैकल्पित व्यवस्था करते हुए 10 मीटर की दूरी पर आंगनबाडी केन्द्र में पढ़ाई की व्यवस्था हुई. लेकिन आआंगनबाडी केन्द्र में भी बारिश के कारण छत से पानी टपकने की समस्या है. इसलिए कक्षाएं विद्यालय से लगभग 25 मीटर दूर हनुमान जी के मन्दिर में कक्षाएं संचालित की जाती है.
बांदीकुई की राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बिशनपुरा में 102 बच्चों का नामांकन है. कमरे जर्जर हालात में हैं तो कक्षाएं पेड़ के नीचे चलती हुई मिली. डालसा के आदेश के बाद विभाग ने कक्षाओं को गांव के एक व्यक्ति नवल किशोर सैनी के घर संचालित किया जाना बताया.
जोधपुर में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय प्रतापनगर में कुल 421 छात्रों का नामांकन है. विद्यालय से अब अभिभावक अपने बच्चों की टीसी ले जा रहे हैं.
शिक्षा विभाग ने जर्जर स्कूल भवनों की पहचान के लिए सर्वेक्षण कराया था
दरअसल, झालावाड़ हादसे के बाद शिक्षा विभाग ने पूरे राज्य में जर्जर स्कूल भवनों की पहचान के लिए सर्वेक्षण कराया था. 22 अगस्त को जारी रिपोर्ट में कुल 5,667 स्कूलों को जर्जर अवस्था में पाया गया था, जिनमें सबसे अधिक बांसवाड़ा, उदयपुर और जालावर जिले में थे. रिपोर्ट के अनुसार 1,579 ऐसे भवनों की मरम्मत का कार्य अब तक शुरू भी नहीं हुआ था. बांसवाड़ा में 605, जबकि जालावर में 448 भवन जर्जर पाए गए. वहीं, 17,109 स्कूल शौचालयों को पूरी तरह जर्जर बताया गया.
इसके बाद सरकार ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि इन स्कूलों को अस्थायी रूप से पास के सुरक्षित भवनों — जैसे अन्य स्कूलों, सामुदायिक केंद्रों, आंगनवाड़ी केंद्रों, पंचायत भवनों या धर्मशालाओं में शिफ्ट किया जाए. लेकिन DLSA के निरीक्षण में सामने आया कि जिन जगहों पर स्कूल शिफ्ट किए गए हैं, वहां भी पीने के पानी, शौचालय, पर्याप्त जगह, बिजली और सुरक्षित भवनों की कमी बनी हुई है.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने योजना पेश की
हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने उसी दिन अपनी विस्तृत योजना पेश की, जिसके अनुसार कुल 1,624.29 करोड़ रुपये का बजट स्कूलों की मरम्मत के लिए निर्धारित किया गया है.
शिक्षा विभाग के अनुसार, "पूरी तरह जर्जर" श्रेणी के करीब 2,000 स्कूलों की मरम्मत के लिए 174 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं और मार्च 2026 तक सभी कार्य पूरे करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अतिरिक्त, नवंबर 2026 तक 98.91 करोड़ रुपये की लागत से 104 नए स्कूल बनाए जाएंगे.
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