Health News: सर्दी आते ही चाय का प्याली दर प्याली पीते जाते हैं, लेकिन यही चाय पेट में आग लगा रही है. सर्दियों में शरीर गर्मी चाहता है, इसलिए दिन में 5-6 कप चाय पीना आम हो जाता है. सुबह खाली पेट, नाश्ते में, ऑफिस ब्रेक में और शाम को ठंड भगाने के लिए चाय ही चाय, लेकिन यही आदत पेट का दुश्मन बन जाती है.
जानें चाय से एसिडिटी क्यों होती है
आयुर्वेद और मॉडर्न साइंस दोनों कहते हैं - सर्दी में पाचन मजबूत होता है, लेकिन चाय का कैफीन और टैनिन पेट की आग भड़का देते हैं. खासकर खाली पेट या बहुत कड़क दूध-चीनी वाली चाय पीने से छाती में जलन, खट्टी डकार, पेट फूलना और जी मचलना जैसी तकलीफें शुरू हो जाती हैं. बार-बार पीने से पेट की अंदरूनी परत सूखकर कमजोर पड़ जाती है और एसिड आसानी से जलन पैदा करने लगता है.
चाय छोड़ना जरूरी नहीं, बस तरीका बदलो
आयुर्वेद कहता है कि चाय दोषी नहीं, गलत समय और ज्यादा मात्रा दोषी है. दिन में सिर्फ 1-2 कप पिएं. सुबह खाली पेट और रात का खाना खाने के तुरंत बाद चाय बिल्कुल न लें. चाय में 1-2 इलायची डालें, यह तासीर को ठंडा करती है. बहुत देर उबाली या कड़क चाय न बनाएं.
एसिडिटी हुई तो 2 मिनट में आराम देने वाले देसी नुस्खे
एक लौंग मुंह में रखकर चबाएं - एसिड तुरंत काबू में होगी.
एक चम्मच सौंफ + थोड़ी मिश्री चबाएं - गैस और खट्टी डकार गायब.
गुनगुने पानी में एक बूंद देसी घी मिलाकर पिएं - जलन शांत.
छाछ में भुना जीरा डालकर पिएं - फौरन राहत.
मुलैठी का पानी उबालकर पिएं - पेट की परत को ताकत मिलती है.
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